
राग बहार का संक्षिप्त परिचय -
थाट- काफी
जाति-षाडव-षाडव
स्वर-गंधार कोमल ,दोनों निषादों का प्रयोग ,आरोह में रे ,अवरोह में ध स्वर वर्ज्य
वादी स्वर-म
संवादी स्वर-सा
गायन-वादन समय -मध्य रात्रि
न्यास के स्वर- सा,म और प
सम्प्रकृति राग-मियाँ मल्हार
विशेषता -प्राचीन ग्रंथो में इस राग का उल्लेख नहीं मिलता,अत: यह माना जाता है कि इस राग की रचना मध्य काल में हुई . विद्वान बागेश्वरी ,अड़ाना और मियाँ मल्हार के मिश्रण से इस राग की रचना मानते हैं .इस राग का चलन सप्तक के उत्तर अंग तथा तार सप्तक में होने के कारण इस राग को उत्तरांग प्रधान रागों के अन्तर्गत रखा गया है . बहार राग के गीतों में बसंत ॠतु का वर्णन मिलता है . इस राग का गायन समय मध्य रात्रि है तथापि बसंत ॠतु में इसे हर समय गाया-बजाया जाता है .यह एक चंचल प्रकृति का राग है .
राग बहार
आरोह-सा म , म प ग_ म,ध नि सां ।
अवरोह-सां नि_ प,म प , ग_ म रे सा ।
पकड़-सा म , म प ग_ म , नि_ ध नि सां ।
सुनें बंदिश कलियन संग करता रंगरलियां राग बहार
स्वर-पल्लवी पोटे
13 टिप्पणियां:
संगीत के व्याकरण के साथ खूबसूरत कर्ण-सुख। वाह पारूल जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बेहतरीन .
Sound file pata nahi kyon khul nahi raha ... please inhe mere mail me bhej do na...
ranjana di,slow net ? vaisey mai bhej duungi :)
रंजना जी की समस्या मेरी भी है - अटक अटक कर ध्वनियाँ सुनाई देती हैं लेकिन बहुत देर तक छोड़ने के बाद पूरा सुन ही लिया।
आप को धन्यवाद देने को शब्द नहीं हैं। बस सुनाते रहिए।
गिरिजेश जी ,
आप प्लयेर को थोड़ी देर चला कर छोड़ दें ...और दोबारा प्ले करें इस से poori file सुनने में आसानी होगी
sundar.....
बहुत ही उम्दा !!पहली बार आया.अब बार-बार होगा आना....
sunne me kafi manmohak tha.
Thanks for providing it here.
bahut badiya badhai
Kaksha 11 aur 12 mein HINDUSTANI CLASSICAL (VOCAL) seekha tha!
Aur ab kaee baras ke baad, ek pata mila hain jahan kafi, malkauns, bhairav, yaman, des, aarah, avroh, shudh, komal, teevr jaise alfaz padhne ko milenge!
SAADHUWAD!
वाह!क्या बात है।
bahut khoob
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