शनिवार, 9 मई 2009

मोरा संइया बुलावे आधी -राशिद खान-ठुमरी

radha_krishna_28
राग देश का संक्षिप्त परिचय-
राह देश की उत्त्पत्ति खमाज थाट से मानी गयी है । यह औडव-सम्पूर्ण जाति के रागों के अन्तर्गत आता है कारण इसके आरोह में गंधार तथा धैवत स्वर वर्ज्य हैं अर्थात नहीं प्रयोग किये जाते हैं व अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है । राग देश मे वादी स्वर-रे तथा संवादी स्वर- हैं ।इस राग का गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर है । राग देश एक चंचल प्रकृति का राग है । अत: इसमें अधिकतर छोटा ख्याल व ठुमरी गाई जाती हैं । इस राग के आरोह में शुद्ध नि व अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है जैसे-म प नि सां,रें नि_ ध प ,ध म ग रे । राग देश के आरोह में वैसे तो ग , ध स्वर वर्जित हैं परन्तु कभी कभी राग की सुंदरता के लिये इस नियम का उल्लंघन कर ग अथवा ध का प्रयोग मींड व द्रुत स्वरों के रूप में किया जाता है जैसे -रेगम ग रे तथा प धनि ध प । यहां ध नि स्वरों के ऊपर मीड़ का चिन्ह लगाया जाता है । राग देश पूर्वांग प्रधान राग है । इसमें ध म स्वरों की संगती बार-बार दिखाई जाती है । देश से मिलते जुलते रागों में सोरठतिलक कामोद आते हैं ।

आरोह-( नि-मन्द्र) सा रे,म प,नि सां ।
अवरोह-सां नि_ध प ,ध म ग रे ,गऽ (नि-मन्द्र) सा
पकड़- म प ध ऽ म ग रे,गऽ ( नि-मन्द्र) सा



सुनते हैं राग देश में उस्ताद राशिद खान की गाई ये खूबसूरत ठुमरी -मोरा संइया बुलावे आधी रात को नदिया बैरी भयी