
रात के तीसरे पहर पूरी क़ायनात
गुनगुनाती है मालकोशी धुन
चाँद अपने सफ़र में थक कर जिस घड़ी
आसमान के सीने पर सुस्ताता है…
हम उनींदी आँखों
किसी रोज़ जो
उठ पायें नर्म बिस्तर से
तो सुन पायें ...जी जायें…
मालकोश में बाँसुरी पर आलाप -पंडित हरि प्रसाद चौरसिया
बलशाली कर दे मोरा मन
मालकोश में छोटे ख्याल की बंदिश स्वर-सुरेश वाड़कर
संक्षिप्त परिचय- राग मालकोश
थाट- भैरवी
जाति- औडव-औडव
वर्ज्य स्वर- रिषभ,पंचम
वादी स्वर- मध्यम
संवादी- षडज
कोमल स्वर- गंधार,धैवत और निषाद
न्यास के स्वर- सा,_ग,म
गायन समय- रात्रि का तीसरा प्रहर
समप्रकृति राग- चंद्रकोश
मालकोश के स्वरों में मात्र नि स्वर शुद्ध कर देने से यह राग चंद्रकोश बन जाता है ।
इसमें पंचम वर्जित होने के कारण इसे गाते समय तानपूरे के प्रथम तार को मंद्र मध्यम से मिलाते हैं ।
मालकोश गम्भीर और शांत प्रकृति का राग होने के कारण मीड़ प्रधान राग माना जाता है ।
आरोह- सा _ग म ,_ध _नि सां ।
अवरोह- सां _नि _ध म,_ग म _ग सा ।
पकड़- _ध(मंद्र) _नि(मंद्र) सा म , _ग म _ग सा ।
12 टिप्पणियां:
अत्यन्त सुकूनदायक प्रस्तुति । आभार ।
सुरेश वाड़कर हैं । अक्सर लोग उन्हें वाडेकर कह देते हैं-जैसे मेधा ’पाटेकर’ कह देते हैं । क्रिकेट कप्तान अजित वाडेकर और अभिनेता नाना पाटेकर चूंकि जबान पर चढ़े हुए थे।
वाड़कर…ठीक किया…शुक्रिया
na jaane kab se intezar tha.. ab poora huwa ! shukriya Paarul ji ! aasha hai ab niyamit suune ko milengee..! aabhar !
sundar prastuti !
सुंदर प्रस्तुति ..अब तो संगीत का लुत्फ़ भी उठाया जायेगा ..शुक्रिया
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
kabse tha intzar..shukriya parul!
kavyatmak jankari ke liye bhut bhut shukriya .
bahut sundar parul ji achhi rachna
bahut bahut dhanywaad
हम उनींदी आँखों
किसी रोज़ जो
उठ पायें नर्म बिस्तर से
तो सुन पायें ...जी जायें…
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जीने के लिए सुनना जरूरी है और सुनने के लिए जीना ....
रात के तीसरे पहर की धुन को आँखों से पिया जाये...चलो फिर से जिया जाये...
बहुत खूब....बहुत ही बढ़िया...
बहुत ही बढिया
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Parul ji
is blod par suron ko sajane ke liye aapka tahe dil se dhanywaad. man ki thakan aur dil ko rahto-sukoon ka behtareem madhaym hai sangeet, jo dilon to tatolta hua uski dhadkanon mein ravani paida karta hai
shubhkamnaon sahit
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