
पारिजात झरते हैं निःशब्द जिस पहर
गोपियाँ पैर की झांझर उतार दबे पाँव
लौटती हैं रास से
रात समेटती है अपनी ओढ़नी जिस
घड़ी
योगी, उतरता है कोई ध्यान में ,
शिशु कुनमुनाता है नींद में भूख से,
कोयल कुहुकती है नीड़ में भूल से
सूर्य,यात्रा पूर्व करता है गंगा में स्नान
कृष्ण की बाँसुरी को उलाहना दे
राधा कह उठती है -काहे उजाड़ी मोरी नींद ....
मेरे गिर्द…सोहनी ठीक इसी पहर
सजती है...बजती है
संक्षिप्त परिचय राग सोहनी
थाट-मारवा
वादी -धैवत
संवादी -गंधार
जाति-औडव-षाडव
वर्जित स्वर आरोह में -रे,प
अवरोह में वर्जित - पंचम
कोमल स्वर- रे_
तीव्र - म
उत्तरांगवादी राग है
धैवत और गंधार की संगत राग की ख़ास निशानी है
गायन समय -रात्रि का अंतिम प्रहर
आरोह-सा ग(म-तीव्र)ध नि सां
अवरोह-सां नि ध (म-तीव्र) ध ग (म-तीव्र)ग रे_ सा
पकड़-(म-तीव्र) ध नि सां रे सां , सां नि ध (म-तीव्र) ध ग
राग सोहनी सितार पर निखिल बैनर्जी
राग सोहनी में पं कैवल्य कुमार गौरव के स्वर में दो बंदिशें
चित्र-गूगल साभार
11 टिप्पणियां:
is baras ki pahli post par badhai ji...
सोहनी का परिचय सोहनी से भी कमाल है..
निखिल जी सितार वादन तो बहुत सुना है लेकिन गौरव जी को पहली बार सुना और हतप्रभ रह गया...इतना सुरीला गला...वाह...बेजोड़...शुक्रिया इन्हें सुनवाने के लिए...
नीरज
बढिया,
राग सोहनी के बारे में पढ़ कर
और गौरव जी को सुन कर
बहुत सुकून हासिल हुआ ...
कहीं ,, मन में
"मुग़ले-आज़म" का ख़याल भी आ गया
इल्तिजा है कि
बंदिश किस ताल में है,,
ये बताने की ज़हमत भी किया करें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। राग की पूरी जानकारी तो मुझे नहीं है किन्तु षास्त्रीय संगीत के प्रति गहरा लगाव है।
Thanks for coming by my blog!
I like the music on this post, and the picture...
कितनी सुन्दर कविता, भोर के उजाले के फूटने की. सूर्य के गँगा में डुबकी लगाने की छवि ... कुमार गौरव जी का गायन भी बहुत अच्छा लगा.
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है,
जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत
वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
Here is my web blog :: खरगोश
यहाँ तो आनन्द का अक्षय भण्डार है ।
Ji bilkul sahi
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