राग मारू बिहाग के संक्षिप्त परिचय के साथ आज सरगम पर प्रस्तुत हैं शुभा मुद्गल ( मुदगल) के स्वर मे सावनी झूला । झूला ,कजरी आदि विधायें हिन्दुस्तानी संगीत मे उपशास्त्रीय अंग के रूप मे जाने जाते हैं । कजरी के मूलतः तीन रूप हैं- बनारसी, मिर्जापुरी और गोरखपुरी । पं छन्नूलाल मिश्र,शोभा गुर्टू,गिरिजा देवी जैसे दिग्गज ,इस क्षेत्र के जाने माने हस्ताक्षर हैं । कजरी के बोलो मे जहाँ एक ओर नायिका के विरह का वर्णन होता है ,झूला मे वहीं अधिकतर राधा कृष्ण के रास व श्रंगार से संबन्धित बोलों का समावेश होता है ।
राग मारू बिहाग का संक्षिप्त परिचय-
थाट-कल्याण
गायन समय-रात्रि का द्वितीय प्रहर
जाति-ओडव-सम्पूर्ण (आरोह मे रे,ध स्वर वर्जित हैं)
विद्वानों को इस राग के वादी तथा संवादी स्वरों मे मतभेद है-
कुछ विद्वान मारू बिहाग मे वादी स्वर-गंधार व संवादी निषाद को मानते है इसके विपरीत अन्य संगीतज्ञ इसमे वादी स्वर पंचम व संवादी स्वर षडज को उचित ठहराते हैं ।
प्रस्तुत राग मे दोनो प्रकार के मध्यम स्वरों ( शुद्ध म व तीव्र म ) का प्रयोग होता है । शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयुक्त होते हैं ।
मारू बिहाग आधुनिक रागों की श्रेणी मे आता है। इसके रचयिता उ0 स्वर्गीय अल्लादिया खां साहब माने जाते हैं
इस राग के समप्रकृति राग -बिहाग,कल्याण व मार्ग बिहाग हैं ।
मारू बिहाग का आरोह,अवरोह पकड़-
आरोह-नि(मन्द्र) सा म ग,म(तीव्र)प,नि,सां ।
अवरोह-सां,नि ध प,म(तीव्र)ग,म(तीव्र)ग रे,सा ।
पकड़-प,म(तीव्र)ग,म(तीव्र)ग रे,सा,नि(मन्द्र)सा म ग,म(तीव्र)प,ग,म(तीव्र)ग,रे सा ।
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21 टिप्पणियां:
bahut madhur...anand aa gaya
बहुत बहुत आनंददायक !
सुंदर |
बहुत सुंदर। बढि़या।
बहुत मधुर ! इस पोस्ट का जवाब नहीं !
पद्मा राय
बहुत बहुत धन्यवाद,पारुलजी ।
बेहतरीन तहरीर है...
सरगम का दीवाना तब से हूं, जब बचपन में विविध भारती पर संगीत सरिता सुना करता था। संगीत सीखने की ललक पहले गांव की पढ़ाई लिखाई और बाद में रोजी रोटी की उलझन में पूरी नहीं हो पाई। पर हां, अच्छे संगीत की समझ ईश्वर ने दी है। आपसे संपर्क शायद ईश्वर का ही कोई इशारा होगा। मुझे जल्दी ही आपकी मदद की ज़रूरत पड़ सकती है।
कहा सुना माफ़,
-पंकज शुक्ल
हिन्दी में संगीत केन्द्रित तो बहुत सारे ब्लॉग हैं, पर उनमें से शास्त्रीय संगीत का झंडा आपके ही नाम है। राग आधारित गीतों की जानकारी देने का शुक्रिया।
बहुत सुंदर ,आनंद आ गया पारुलजी ।
आपके ब्लॉग पर आज आने का शौभाग्य मिला ! संगीत से मेरा इतना ही नाता है की प. जसराज जी, प. भीमसेन जी ,
नजाकत अली-सलामत अली, बड़े गुलाम अली खान साहब, और सभी इस पीढी के गुरुजनों को सुनता रहा हूँ ! और आज भी इनको ही समय निकाल कर सुनता हूँ ! संगीत सुनकर स्वर्गिक आनंद मिलता है पर इसकी तकनीकी जानकारी नगण्य ही है ! आज मालुम हुवा की इतनी उत्कृष्ट जानकारी आपके ब्लॉग पर उपलब्ध है ! बहुत धन्यवाद !
Anutha hai blog aapka. Apne rajya aur visheshkar Bokaro se jude is blog se lagav to swabhavik bhi hai.
bahut hi shaandaar
sunney mein jitna aanand aaya ussey kahin zayada iske peeche ke raag ko janne mein aaya, i was not aware about the raaga "Yaman", thanks for sharing the instrumental player and the artists who staged with shubha ji.
thanks once again for sharing such a nice raga.
बहुत ही ज्ञानवर्द्धक!
आरी को काटने के लिए सूत की तलवार???
पोस्ट सबमिट की है। कृपया गौर फरमाइएगा... -महेश
main pahali bar aaya hun aapke blog me jo avismaraniya hai mere liye chuki main music se taaluk rakhta hun mere liye to ye........... main kuch kah nahi pa raha bas yehi ke uttam hai bahot khub.......
aapka swagat hai mere blog me
prosingh.blogspot.com
regards
arsh
.....sargam ke maayne to vahi bata sakta hai jiski ismem roochi ho...sacchi bahut-bahut-bahut accha laga !!
वाहवा क्या बात है
achhi prastuti
बधाई स्वीकारें
is post se player hata liya kya? pl. laga dein jhoola sunne ka man bahot hai.
meenu
duusra player lagaya hai...sun kar dekhiye...
धन्यवाद पारूल. बहुत अच्छा झूला झूले हम तुम्हारे ब्लॉग पर...
काफ़ी वक्त से खोज रहा था ऐसा ही कुछ..शुक्र है आपके ब्लॉग पर आया..उम्मीद है आगे भी काफ़ी जानकारी मिलती रहेगी..नियमित.
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