रविवार, 14 सितंबर 2008

विचित्र वीणा--यमन

आज सुनते हैं राग यमन विचित्र वीणा पर । वादक हैं कन्नौज के श्री कृष्ण चन्द्र गुप्ता जो आकाशवाणी के बी हाई ग्रेड कलाकार हैं । आपने विचित्र वीणा की शिक्षा पं गोपाल कृष्ण जी से प्राप्त की । इसके इलावा बनारस घराने के पं गणेश प्रसाद जी मिश्र से समय समय पर संगीत के विभिन्न पहलुओं पर मार्ग दर्शन लेते रहे । विचित्रवीणा जैसे कठिन वाद्य को अपने जीवन की पूंजी कहने वाले कृष्ण चन्द्र जी एक सन्दल डिस्टिलेशन मील के मालिक भी हैं । और यह बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मेरे जीवन मे जो भी थोड़ी बहुत स्वर सुनने की समझ मैने पायी वो मेरे मामा जी (कृष्ण चन्द्र गुप्ता)के प्यार और दुलार के कारण ही आयी ।
प्राचीनतम शास्त्र वेदों में से सामवेद से वीणाके कई प्रकार उद्भूत माने गये हैं, जिन्हे कई देवी देवता बजाते हैं । इनमे रूद्र वीणा,सरस्वती वीणा,नारदैय वीणा, हनुमत वीणा इत्यादि वीणा के 36 प्रकारों का वर्णन कालान्तर तक मिलता है । विचित्र वीणा उत्तर भारतीय संगीत में वीणा का नवीनतम रूप है । इस वाद्य की गमकदार आवाज़ और अतिसार सप्तक की धारदार आवाज़ दोनों ही वीणा की ध्वन्यात्मक विशेषताये हैं । प्रस्तुत विडियो मे राग यमन मे आलापचारी सुनी जा सकती है । साथ ही यह भी कहना चाहूँगी कि स्वरों के अतिरिक्त मुझे इस दुर्लभ वाद्य के बारे मे खुद कोई खास जानकारी नही है । मामाजी के लेख के आधार पर मै यह विवरण यहाँ दे रही हूँ । ध्येय मात्र इतना है कि इस अद्धभुत वाद्य की जानाकारी सभी लोगों तक पहुँचे ।
पहली बार विडियो अपलोड किया है, साथ ही रिकार्डिग भी पुरानी व घर पर की गयी है । यदि ये प्रयास सफ़ल हुआ तो इसी के दूसरे हिस्से भी पोस्ट करूँगी --



एक बार पूर्ण बफ़रिंग हो जाने के बाद विडियो आसानी से सुना व देखा जा सकता है--

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

पता नहीं क्या बात है विडियो चल ही नहीं रहा...फिर से कोशिश करेंगे.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी ने कहा…

वाह! अच्छा अप्लोड हुआ है वीडियो. आसानी से खुल भी गया।

Unknown ने कहा…

very nice blog...

http://shayrionline.blogspot.com/

makrand ने कहा…

good music
regards

Meenu Khare ने कहा…

नेट की दुनिया भी अजीब है पारुल कोई ठीक नहीं कब, किससे, कहाँ मुलाकात हो जाए. मैं आकाशवाणी में शास्त्रीय संगीत की इन्चार्ज हूँ और गुप्ता जी मेरे कलाकार है. उन्हें नमस्कार बोलियेगा.