मंगलवार, 11 दिसंबर 2007

हमसे आया न गया तुमसे बुलाया न गया…राग बागेश्री

भारतीय शास्त्रीय संगीत की मेरी पिछ्ली पोस्ट पर सभी मित्रों के उपयोगी सुझाव,सराहनाओं व बहुमूल्य टिप्पणियों से इस प्रयास को बहुत बल मिला है। आप सबका बहुत बहुत आभार ।जैसा की सब चाहते हैं ……तो आज रागों मे प्रयोग होने बाले बेसिक शब्दों की परिभाषाओं की सर्वप्रथम चर्चा करते हैं । जिनसे रागों का संक्षिप्त परिचय समझनें मे सुविधा होगी । यहां ये कहना ज़रूरी है कि कुछ परिभाषायें ऐसी हैं जिनके बारे मे विस्तार से लिखा जाये तो एक ही विषय कयी कयी दिनों तक चलेगा और पढ़ने वाले भी ऊब महसूस करेंगे इसलिये सरल ढग से इन्हें सामने रखने का प्रयास कर रही हूं ।
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स्वर-गायन एवं वादन में सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है ,स रे ग म प ध नी । इनमें से 4 स्वर-रे ग ध नी शुद्ध होने के साथ साथ कोमल भी प्रयोग किये जाते हैं,1 स्वर "म" शुद्ध होने के साथ साथ तीव्र भी प्रयोग किया जाता है परन्तु षडज व पंचम यानी "सा व प" सदैव शुद्ध ही प्रयोग किये जाते हैं । स्वर 2 प्रकार के होते हैं -शुद्ध स्वर व विकृत स्वर। शुद्ध स्वर वे स्वर कहलाते हैं जो अपने निश्चित स्थान पर गाये या बजाये जाते हैं । विकृत स्वर वे हैं जो अपने स्थान से कुछ ऊपर चढ्कर या नीचे उतर कर प्रयोग किये जाते हैं । विकृत स्वर दो प्रकार के होते हैं-
कोमल विकृत-जब कोई स्वर अपने स्थान से नीचे प्रयोग किया जाये तो कोमल स्वर कहलाता है और उस स्वर के नीचे _प्रकार का चिन्ह लगाया जाता है।जैसे राग बागेश्वरी की आरोह में-स नी_ ध नी_ स,म ग_ म ध नी सं । यहां निषाद व गंधार कोमल प्रयोग किये गये हैं ।

तीव्र विकृत-जब कोई स्वर अपने स्थान से थोड़ा ऊपर चढ़ा कर गाया या बजाया जाता है तो वह तीव्र विकृत कहलाता है जैसे राग यमन मे "म" का प्रयोग हुआ है-नि[मन्द्र}रे ग,मे प ध नी सां। तीव्र स्वरो को दिखाने के लिए इस \ प्रकार के चिन्ह का प्रयोग स्वर के उपर किया जाता है ।नीचे मै गा कर कुछ स्पष्ट करने का प्रयास करती हूं -

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मन्ना डे नहीं।आइये सुने राग बागेश्री पर आधारित तलत महमूद द्वारा गाया ये गीत

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चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

9 टिप्‍पणियां:

mamta ने कहा…

पारुल आपकी आवाज बड़ी मीठी है।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

वाह पारुल जी! स्वरों पर पकड़ बरकरार है आपकी....बहुत खूब कहूँ तो तारीफ के लिये कम होगा। सच में मेरे स्वर तो बिलकुल बहक गये हैं।

G Vishwanath ने कहा…

शास्त्रीय संगीत पर इस ब्लोग का स्वाग्त है।
ममताजी से मैं सहम्त हूँ।
आपकी आवाज मीठी है और सुनने में बहुत अच्छा लगा।
मैं आशा करता हूँ कि audio clips जोड़ने से ब्लोग और भी ज्यादा लोकप्रिय होगा।

Buffering के कारण audio सुनने में रुकावट आ जाती है।
क्या पुरा audio फ़ाइल को download करने का प्रबन्ध नहीं हो सकता?
यदि ऐसी सुविधा होती, तो इसे हम अलग से save करके, फ़ुरसत मिलने पर बार बार सुन सकते हैं।
शुभकामनाएं।
G विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु

Yunus Khan ने कहा…

पारूल जी कल शायद मनीष ने कहा था कि ये आयोजन विविध भारती के संगीत सरिता जैसा बन पड़ा है । विश्‍वनाथ जी की समस्‍या का एक हल है, और वो है लाईफलॉगर । जहां बफरिंग तेज होती है ।
अगर आप अपनी ऑडियो फाईल ईस्निप पर नहीं बल्कि लाईफलॉगर पर लोड करें और वहां से प्‍लेयर लें तो बफरिंग जल्‍दी होगी । दूसरी बात विश्‍वनाथ जी से ये कहनी है कि ई स्निप्‍स डाउनलोड की सुविधा देता है । बस आपको रजिस्‍टर करना पड़ता है ।
हां आपसे ये कहना है कि आप हमारी मन मांगी मुराद पूरी कर रही हैं । आप नहीं जानतीं कि ये कितने साल पुराना सपना है जो पूरा हो रहा है । हम कभी शास्‍त्रीय संगीत सीख ही नहीं सके बाकायदा । जो टूटा फूटा यहां वहां से जमा कर पाए हैं उसी से काम चला रहे हैं ।

अनंत शुभकामनाएं एवं धन्‍यवाद

मीनाक्षी ने कहा…

बहुत मीठी आवाज़.... सुर सुरा की तरह कानों में पड़े और हम सुध खो बैठे... वाह... खूब.... अब देखना यह है कि हम कितने अच्छे शिष्य बन पाते हैं.

Neeraj Rohilla ने कहा…

पारूलजी,
आपका तहे दिल से शुक्रिया । हम तो आपकी क्लास में रोज ही हाजिरी लगायेंगे । भारत आने पर युनुसजी से जब बात हुयी थी तो आपके चिट्ठे का जिक्र हुआ था और आपने हम सब लोगों की बात मानकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में लिखना प्रारम्भ किया है ये बडी खुशी की बात है ।

शुभकामनायें,

पुनीत ओमर ने कहा…

बहुत ही सुंदर....
मेरे जैसे अज्ञानी को शायद कुछ सिखने को भी मिलेगा संगीत के बरे में यहाँ आपके पास आकर..

Manish Kumar ने कहा…

Parul ji bahut khoob bahut achcha laga teevra aur komal swaron ke bare mein jaankar.
Bahut bahut shukriya humare sujhav ko is khoobsurti se amali jama pehnane ka

...* Chetu *... ने कहा…

very nice.... keep it up..!