सोमवार, 17 अगस्त 2009
धमार/राग मारवा
धमार गायकी का संक्षिप्त परिचय-
धमार भारतीय संगीत का एक अत्यंत प्राचीन अंग है। ऐसी मान्यता है कि पंद्रहवीं शताब्दी के अंत और सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में मानसिंह तोमर और नायक बैजू ने धमार गायकी की नींव डाली। धमार की बंदिश १४ मात्राओं वाली धमार ताल में ही गाई जाती है । इसमें अधिकतर राधा-कृष्ण और गोपियों की होली का वर्णन मिलता है , जिसके कारण बहुत से लोग इसे होली गीत भी कहते हैं । लेकिन, धमार तथा होली विधा में बहुत अन्तर है। इन दोनों की गायन-शैलियाँ अलग-अलग हैं । धमार गीत के बोल ब्रज व हिन्दी भाषा के होते हैं । इसमें श्रृगार रस की प्रधानता रहती है । ध्रुपद गायकी के समान ही धमार में भी गुणीजन नोम-तोम का प्रारम्भिक आलाप करते हैं । धमार गायन में खटके अथवा तान के सामन स्वर समूह लगभग न के बराबर प्रयोग किये जाते हैं । इसमें गीत के बोलों के माध्यम से ही दुगुन,तिगुन,चौगुन,आड़ आदि लयकारियाँ दिखाई जाती हैं । धमार मे मीड़ व गमक का प्रयोग ख़ूब देखने को मिलता है । ध्रुपद व धमार दोनों के ही प्रत्येक अंग में गम्भीरता रक्खी जाती है फिर भी ध्रुपद,धमार से कुछ अधिक गम्भीर होता है । धमार के श्रेष्ठ गायक नारायण शास्री, बहराम खाँ, पं. लक्ष्मणदास, गिद्धौर वाले मोहम्मद अली खाँ, आलम खाँ, आगरे के गुलाम अब्बास खाँ,उस्ताद फैयाज़ खाँ और उदयपुर के डागर बंधु आदि हुए हैं। धमार के साथ पखावज बजाने की परम्परा है परन्तु पखावज के अभाव में तबले के साथ भी संगत की जाती है ।
इसके इलावा ध्रुपद-धमार पे ये लेख नेट पे मिला - यहाँ
सुनें उस्ताद रहीम फ़हीमुद्दीन ख़ाँ डागर साहब के अद्धभुत स्वरों में राग मारवा में निबद्ध आलाप व धमार की ये बंदिश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
17 टिप्पणियां:
सुन रहा हूँ.....
waah! yeh mere kaam kaa blog hai. Waise Dhrupad aur dhamar ke saath pakhaawaj aur TABAL which is more like tabla but the syaahi, the black circle on the daayaan (right or Tabla, not duggi) is lot smaller and the skin is also not that tight so that it produces the mellow sound, just to avoid the overpowering the singer's voice. Its not used anymore. Anyways, keep posting!
61 मिनट 15 सेकन्ड्स की ट्रीट ! शुक्रिया ।
पारुल बहुत दिनों के बाद आज तुम्हारा gaayki धमार का परिचय पढा ...उदासी में संगीत का मतलब होता है अपने अराध्य के निकट पहुंचना ...जब पढ़ती थी तभी के नोट्स हें मेरे पास ...लेकिन कुछ बिखरे से ...मुझे बेगम अख्तर की ठुमरी ...आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ,सुनवाओ ..तुम्हारी आवाज में ....बहुत दिनों से सुनने का मन है ...इस जान कारी के लिए और प्रस्तुति के लिए आभार
धमार गायकी,के बारे मे जाकारी के साथ,उस्ताद रहीम फ़हीमुद्दीन ख़ाँ डागर की बंदिश सुनवाने के लिये
धन्यवाद. बेगम अख्तर जी की, कुछ तो दुनियां की इनायात ने दिल तोड दिया. आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया, सुनने की मेरी भी इच्छा हॆ.
पारुल जी,
कभी-कभी ही सही कुछ ब्लाग जब संगीत से जुडे़ मिलते हैं तो बहुत खुशी होती है...आज प्रसन्न वदन फिर से प्रसन्न हैं क्योंकि आप के ब्लाग पर शास्त्रीय संगीत मिला...वाह......धन्यवाद....
आप इसे बराबर जारी रखें........
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
bahut sundar
बढ़िया ज्ञान वर्धन किया आपने.....
धन्यवाद....
पारुल जी, आपने बहुत बढ़िया ब्लॉग बनाया है जो शास्त्रीय संगीत प्रेमियों को विभिन्न जानकारियाँ देने के साथ-साथ संगीत श्रवण का आस्वाद भी उपलब्ध करना रहा है। बहुत-बहुत बधाई।
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
संगीत क्षेत्र के ज्ञानवर्धन के लिए आभार।
sangeet nahi to jeevan suna hai aur is kshetr par aap se mil rahe gyan ke liye aabhari hai hum .
Parul ji,
aaj pahli baar aapke blog par aayi hun...yahan to shashtry sangeet ka agadh saagar dekh man prasann ho gaya..
aapka aabhar..
आप के ब्लाग पर शास्त्रीय संगीत मिला...वाह......धन्यवाद....
इसे बराबर जारी रखें........
It is a pleasant surprise to see a blog on Indian Classical. Though I don’t understand much technicalities of classical singing, I am proud enthusiastic for this great heritage of ours and find tender solace when I listen to classical music . I would request you to post more on classical singing starting from basics for raw followers like me.
(sorry for writing in English)
दुःख है...
नहीं सुन पा रहा हूँ
my hard luck .
एक टिप्पणी भेजें