शनिवार, 9 मई 2009
मोरा संइया बुलावे आधी -राशिद खान-ठुमरी
राग देश का संक्षिप्त परिचय-
राह देश की उत्त्पत्ति खमाज थाट से मानी गयी है । यह औडव-सम्पूर्ण जाति के रागों के अन्तर्गत आता है कारण इसके आरोह में गंधार तथा धैवत स्वर वर्ज्य हैं अर्थात नहीं प्रयोग किये जाते हैं व अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है । राग देश मे वादी स्वर-रे तथा संवादी स्वर-प हैं ।इस राग का गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर है । राग देश एक चंचल प्रकृति का राग है । अत: इसमें अधिकतर छोटा ख्याल व ठुमरी गाई जाती हैं । इस राग के आरोह में शुद्ध नि व अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है जैसे-म प नि सां,रें नि_ ध प ,ध म ग रे । राग देश के आरोह में वैसे तो ग , ध स्वर वर्जित हैं परन्तु कभी कभी राग की सुंदरता के लिये इस नियम का उल्लंघन कर ग अथवा ध का प्रयोग मींड व द्रुत स्वरों के रूप में किया जाता है जैसे -रेगम ग रे तथा प धनि ध प । यहां ध नि स्वरों के ऊपर मीड़ का चिन्ह लगाया जाता है । राग देश पूर्वांग प्रधान राग है । इसमें ध म स्वरों की संगती बार-बार दिखाई जाती है । देश से मिलते जुलते रागों में सोरठ व तिलक कामोद आते हैं ।
आरोह-( नि-मन्द्र) सा रे,म प,नि सां ।
अवरोह-सां नि_ध प ,ध म ग रे ,गऽ (नि-मन्द्र) सा ।
पकड़- म प ध ऽ म ग रे,गऽ ( नि-मन्द्र) सा ।
सुनते हैं राग देश में उस्ताद राशिद खान की गाई ये खूबसूरत ठुमरी -मोरा संइया बुलावे आधी रात को नदिया बैरी भयी
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25 टिप्पणियां:
उस्ताद राशिद खान की गाई ठुमरी -मोरा संइया बुलावे आधी रात को नदिया बैरी भयी
वाह, आनन्द आ गया. हमारी ससुराल मिर्जापुर की ठुमरी जगत प्रसिद्ध है जी. :)
Adbhooot prastuti...abhaar.
man lubhavan lekh .badhai.
ठुमरी ने मुग्ध कर दिया । आभार ।
बहुत ही सुंदर .
चंचल प्रकृति के राग ने मन को ही चंचल कर दिया.. बार बार सुन रहे हैं...
Wah jee wah ...khoob anand aaya jee ........
अब जिनकी भी ससुराल मिर्जापुर में है उन्हें यह भा रही है तो मुझे क्यों नहीं ? आखिर मेरी भी ससुराल भी बीच बाजार -मिर्जापुर ही हैं ना ! और आपने भी क्या उम्दा चीज सुनाई पारुल जी ! इस भीषण गर्मी में नखलिस्तान का मजा आ गया ! वाह ,बहुत आभार ! पहेलियाँ क्या गयीं अब तो आप से मुलाक़ात भी दुर्लभ होती गयी है -पर जब ऐसे ही जोरदार प्रस्तुतियों के साथ आप आती हैं तो पिछला सारा कम्पनसेट हो जता है ! जियें हजार साल !
गदगद हूँ...क्या कहूँ....शब्द नहीं मिल रहे...शुक्रिया आपका...
नीरज
सुन्दर प्रस्तुती तस्वीर ने मन मोह लिया अभार्
अद्भुत रसमय प्रस्तुति. मैं दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम पर संगीत कैसे जोडूँ? कृपया मार्गदर्शन करें.
ब्लॉग जगत में शास्त्रीय संगीत की परम्परा को जगाए रखने के लिए आप बधाईकी पात्र हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
उस्ताद तो फिर उस्ताद ही हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
vah janab
maza aa gaya......
maine ek cartoon banaya hai pita putri k rishte par....
jaroor dekhen...
aour apne amoolya sujhav dekar mujhe upkrat kare...
anurag......
बहुत शुक्रिया पारुलजी राशिद खाँ साहब की ठुमरी सुनवाने के लिए।
बेहतरीन प्रस्तुति..
main kya kahun.. amazing post ... padhkar aur sunkar man apne aap me hi tham gaya hai ...
Aabhar
Vijay
Pls read my new poem : man ki khidki
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
sachmuch aanand aa gaya
thanks sister.aurat to kud ek raag hai.ur blog is too very melodious.
shukria.ur blog is very melodious.
wahhhhhhh maza aa gaya
बहुत ही खूब,
राशिद खान के गले की तरलता और यह कठिण राग... क्या बात है.
पारूल दी.
जब जब भी सुना राशिद भाई को उनका स्वर नया-नकोरा सुनाई दिया. बस इंतेख़ाब भर कर पा रहा हूँ इस बंदिश का क्योंकि प्लेयर नमूदार नहीं हो रहा है सो सुनूँ कैसे.राखी का प्रणाम और जश्ने आज़ादी मुबारक़.
राग देश में उस्ताद रशीद खां की यह ठुमरी ’मोरा सैंया बुलावे आधी रात’ मनमोहक है .
मिर्जापुर ससुराल न होने के बावजूद यह मुझे इतना क्यों मोह रही है .
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